जो संतमत में दीक्षा लेना चाहते हैं उन्हें छः माह पूर्व से मांस, मछली, अंडा, शराब, गुटखा इत्यादी करना खाना या पीना छोड़ दियें हों और कभी न खाने या पीने की प्रतिज्ञा की हों वे हीं दीक्षा लेने के अधिकारी होंगे !
शनिवार छोड़कर बांकी सभी दिन दीक्षा दी जाती है!
जिस दिन दीक्षा लेना हो उस दिन बिना कुछ खाये पिये, स्नान कर, स्वच्छ कपड़ा पहनकर, फूल, माला, प्रसाद लेकर दीक्षा स्थल पर पहुंचे !
प्रतिज्ञा
- जो संतमत में दीक्षा लेते हैं उन्हें प्रतिज्ञा करनी पड़ती है-
- पहली प्रतिज्ञा है पूज्य बाबा जो बताएँगे किसी को नहीं कहना है!
- दूसरी प्रतिज्ञा है पूज्य बाबा जो करने के लिए बताएँगे उसके करने से जो अनुभूति होगी उसे किसी को नहीं कहेंगे !
- तीसरी प्रतिज्ञा है संतमत की सेवा यानि सत्संग की सेवा तन-मन –धन से करनी है !
- चौथी प्रतिज्ञा है जिसमें बल लगे उस तरह का श्राप और आशीर्वाद नहीं देंगे !
समास रूप में सिद्धान्त
- ईश्वर है इस पर विश्वास रखना चाहिए, उनकी प्राप्ति अपने अंदर में होगी है, इस पर भी विश्वास रखना चाहिए !
- गुरु की सेवा करनी है, सत्संग करना है और ध्यानभ्यास करना है !
- पंच पाप से बचते रहना चाहिए – झूठ नहीं बोलना चाहिए , चोरी नहीं करना चाहिए ,नशा का सेवन नहीं करना चाहिए , हिंसा नहीं करना चाहिए और व्यभिचार नहीं करना चाहिए !
नियम
- ध्यानाभ्यास करने के लिए पूरब मुंह या उत्तर मुंह बैठना चाहिए , जो प्रणाम करने योग्य है उनके सामने अगर ध्यानाभ्यास करने का अवसर आ जाय तो उनके सामने बैठकर ध्यानाभ्यास करना चाहिए उसे पीठ नहीं दिखाना चाहिए !
- ध्यानभ्यास करने के समय मच्छरदानी लगा लेना चाहिए या किसी कपड़े से अपने शरीर को ढक लेना चाहिए ताकि मच्छर मक्खी तंग नहीं करे !
- ध्यानाभ्यास का समय है ब्रह्ममुहूर्त में यानि तीन बजे भोर में , दिन में स्नान के बाद तुरत , संध्या समय और सोते समय , सोते समय ध्यानाभ्यास करने से बुरा स्वप्न नहीं होता है !